कविता 3 : लक्ष्य की तैयारी

 कविता 2 :     लक्ष्य की तैयारी ✍✍


हाँ आज फिर हारा हूँ

पर हिम्मत नहीं हारा है।


तमन्ना अब बढ़ी हुई है

मन में विश्वास गढ़ी हुई है

जीत की उम्मीद लगाए

मेहनत आगे खड़ी हुई है। 


आज हारने का गम नहीं

कल के मेहनत की चिंता है। 

लक्ष्य तक पहुँच के रहूँगा

अभी भी उम्मीद जिंदा है। 


हँस रहे हैं लोग

हँसने दो

उलझनों से दूर हटकर

मुझे कमर कसने दो। 


महान लक्ष्य की पुकार को

मेरे कानों में गूंजने दो, 

ना दो मुझे रुकने की सलाह

मेरी हिम्मत को ना झुकने दो। 


जीत की हवाएँ एक दिन

अपनी गलियों में बहाऊंगा

कोशिश कभी हारता नहीं

यह सिद्ध करके दिखलाऊँगा। 


                                  - डेशवंत कुमार यादव✍✍



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